अध्याय – 24 – हिंदू धर्म को सुधारने के 5 सुझाव
यद्यपि मैं धार्म के नियमों की निंदा करता हूं, इसका अर्थ यह न लगाया जाए कि धर्म की आवश्यकता ही नहीं। इसके विपरीत मैं बर्क… Read More »अध्याय – 24 – हिंदू धर्म को सुधारने के 5 सुझाव
यद्यपि मैं धार्म के नियमों की निंदा करता हूं, इसका अर्थ यह न लगाया जाए कि धर्म की आवश्यकता ही नहीं। इसके विपरीत मैं बर्क… Read More »अध्याय – 24 – हिंदू धर्म को सुधारने के 5 सुझाव
आपको सफ़लता मिलने के अवसर क्या हैं? सुधाार की विभिन्न किस्में हैं। एक किस्म वह है जो लोगों की धाार्मिक धाारणा से संबंधिात नहीं है,… Read More »अध्याय – 21 – जाति प्रथा को खत्म करना असंभव है ?
मेरी राय में इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब तक आप अपनी सामाजिक व्यवस्था नहीं बदलेंगे, तब तक कोई प्रगति नहीं होगी। आप समाज… Read More »अध्याय – 20 – ब्राह्मण धर्म/हिंदू धर्म के धर्म शास्त्रों को खत्म करने से ही जाति प्रथा का खात्मा होगा
मैंने उन लोगों के बारे में विचार किया है, जो आपके साथ नहीं हैं और जिनका आपके विचारों से खुला विरोधा है। अन्य लोग भी… Read More »अध्याय – 19 – हिंदुओं में जाति प्रथा बनाम गैर हिंदुओं में जाति प्रथा एवं हिन्दुओं का जिंदा रहना गर्व से या गुलामी से ?
चातुर्वर्ण्य नया नहीं है। यह उतना ही प्राचीन है, जितने कि वेद। इसीलिए आर्यसामाजियों ने हमसे अनुरोधा किया है कि उनके दावों पर विचार किया… Read More »अध्याय – 18 – ब्राह्मण बनाम क्षत्रिय
यह मान भी लिया जाए कि चातुर्वर्ण्य व्यावहारिक है, फि़र भी मैं यह निश्चयपूर्वक कहूंगा कि यह एक बहुत की दोषपूर्ण व्यवस्था है कि ब्राह्मणों… Read More »अध्याय – 17 – वर्ण व्यवस्था ब्राह्मणों के द्वारा रचा गया षड्यंत्र है शूद्रों को गुलाम बनाकर रखने का
मेरे लिए यह चातुर्वर्ण्य जिसमें पुराने नाम जारी रखे गए हैं, घिनौनी वस्तु है, जिससे मेरा पूरा व्यक्तित्व विद्रोह करता है। लेकिन मैं यह नहीं… Read More »अध्याय – 16 – चातुर्वर्ण्यं 21वीं सदी में संभव है कि नहीं ?
लेकिन सुधाारकों का एक वर्ग ऐसा है, जिसका आदर्श कुछ और ही है। ये स्वयं को आर्यसमाजी कहते हैं। सामाजिक संगठन का इनका आदर्श चातुर्वर्ण्य,… Read More »अध्याय – 15 – आर्य समाज – एक छलावा एक जाल
अगर आप लोगों में से कुछ जातिप्रथा द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभावों की इस ऊबने वाली चर्चा सुनते-सुनते थक गए हैं, तो मुझे आश्चर्य न होगा। इसमें… Read More »अध्याय – 14 – हम स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे पर आधारित समाज चाहते हैं
हिन्दुओं की नीति और आचार पर जातिप्रथा का प्रभाव अत्यधिाक शोचनीय है। जातिप्रथा ने जन-चेतना को नष्ट कर दिया है। उसने सार्वजनिक धार्मार्थ की भावना… Read More »अध्याय – 13 – जाति से वफादारी का मतलब है देश से गद्दारी