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“जाति का विनाश” (Annihilation of Caste)- संक्षिप्त विवरण

डॉ. बी. आर. आंबेडकर द्वारा लिखित “जाति का विनाश” (Annihilation of Caste) एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली ग्रंथ है। इस ग्रंथ में डॉ. आंबेडकर ने भारतीय समाज में जाति प्रथा के विनाश के लिए एक व्यापक और व्यावसायिक रणनीति प्रस्तुत की है। उन्होंने इस ग्रंथ में जाति प्रथा के कारण, इसके प्रभाव और इसके निवारण के लिए सुझाव दिए हैं।

डॉ. आंबेडकर ने इस ग्रंथ में जाति प्रथा के विनाश के लिए धर्मशास्त्रों और वेदों के निराधारण की मांग की। उन्होंने धर्मशास्त्रों को जाति व्यवस्था का मुख्य आधार बताया, और यह कहा कि इन शास्त्रों को त्यागकर ही जाति व्यवस्था के विनाश की दिशा में बढ़ा जा सकता है।

उन्होंने हिंदू धर्म की समाजवादी विचारधारा की निंदा की और यह दावा किया कि जाति व्यवस्था के विनाश के लिए समाज को एक सामाजिक और धार्मिक क्रांति की आवश्यकता है। इसके अलावा, उन्होंने इंटरकास्ट मैरिज का समर्थन किया, जो उनके विचार में

जाति व्यवस्था को कमजोर करने में मदद कर सकता था। डॉ. आंबेडकर ने समाज में सामाजिक न्याय और समानता की स्थापना के लिए शिक्षा की भूमिका पर भी बल दिया। वे मानते थे कि शिक्षा वंचित और अवर्ण वर्गों के लिए सच्ची आजादी और समानता का द्वार खोल सकती है।

“जाति का विनाश” ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य था कि समाज में सच्ची आजादी, समानता, और न्याय की स्थापना के लिए जाति व्यवस्था का सम्पूर्ण विनाश आवश्यक है। इस ग्रंथ में डॉ. आंबेडकर ने विस्तृत तरीके से जाति प्रथा के दूषण, विभेद, और असामानता का वर्णन किया है, जो भारतीय समाज में सामाजिक और आर्थिक प्रगति के मार्ग में बाधक है।

डॉ. आंबेडकर की इस कृति ने भारतीय समाज में एक नई सोच और विचारधारा लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह ग्रंथ न केवल दलित और अवर्ण समुदायों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहा, बल्कि समाज में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में काम करने वाले सभी

लोगों के लिए भी एक मार्गदर्शक और आदर्श ग्रंथ के रूप में उभरा। इस कृति के माध्यम से, डॉ. आंबेडकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि समाज में समानता और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए, हमें जाति प्रथा के बंधनों को तोड़ने और सभी मानवों के बीच एक नई समझ और एकता की स्थापना करने की जरूरत है।

इस कृति की बुनियादी बातें आज भी हमें प्रेरित करती हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में काम करने के लिए हमें बाध्य करती हैं। डॉ. आंबेडकर के विचार और सिद्धान्त न केवल भारत के दलित और अवर्ण समुदायों के लिए, बल्कि विश्व भर में सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष करने वाले सभी लोगों के लिए एक स्रोत और प्रेरणा बनते हैं।

संक्षेप में, डॉ. बी. आर. आंबेडकर की “जाति का विनाश” एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो भारतीय समाज में जाति प्रथा के विनाश के लिए एक व्यावसायिक रणनीति प्रस्तुत करता है। इस ग्रंथ में डॉ. आंबेडकर ने जाति प्र