मुझे यह बात स्वीकार करनी पड़ेगी कि यह भाषण बहुत लंबा हो गया है। अब आपको
निर्णय करना है कि अधिाक सीमा तक इस गलती की क्षतिपूर्ति हुई है या नहीं। मैं यही
दावा करता हूं कि मैंने अपने विचार स्पष्ट रूप से बता दिए हैं। मेरे पास इन विचारों की
अनुशंसा के लिए कुछ अधययन और आपकी नियति के लिए गहन चिंता के सिवाय बहुत
थोड़ा है। अगर आप मुझे अनुमति दें तो मैं कहूंगा कि ये विचार उस व्यक्ति के हैं, जो
व्यक्ति न तो सत्ता का औजार है और न ही बड़ों का चाटुकार। ये विचार ऐसे व्यक्ति के हैं,
जिसका सार्वजनिक जीवन गरीब और दबे-कुचले लोगों की स्वतं=ता के लिए समर्पित है,
लेकिन जिसकी राष्ट्रीय नेताओं और समाचारपत्रें ने निंदा की। मैं बिना दांवपेंच खेले यह
कहना चाहूंता हूं कि ऐसे नेताओं का साथ देने से मैं इन्कार करता हूं, जो निरकुंश के स्वर्ण
से तथा रईस के धान से दबे-कुचले लोगों को स्वतं=ता दिलाने का चमत्कार दिखाना चाहते
हैं। मेरे विचारों की सिफ़ारिश के लिए इतना सब काफ़ी नहीं है। मैं सोचता हूं कि शायद ये
विचार आपके विचारों को नहीं बदल पाएंगे। ये विचार ऐसा कर पाते हैं या नहीं, यह बात
आप पर निर्भर है। आपको जातपांत को जड़ से उखाड़ फ़ेंकने का काम अगर मेरे मार्गदर्शन
से नहीं हुआ तो मैं आपका साथ नहीं दे पाऊंगा। मैंने भी बदलने का फ़ैसला कर लिया
है। यह उपयुक्त स्थान नहीं है, जहां इसके लिए मैं कारण बताऊं। लेकिन आपके दायरे से
बाहर जाने के बाद भी मैं आपके आंदोलन को सक्रिय सहानुभूति से परखता रहूंगा। तथा मैं
यथाशक्ति आपकी सहायता करता रहूंगा। आपका यह एक राष्ट्रीय लक्ष्य है। इसमें संदेह
नहीं है कि जातपांत हिन्दुओं की धाड़कन है। पर हिन्दुओं ने वातावरण को प्रदूषित किया है,
जिससे प्रत्येक संक्रमित है, जिसमें सिख, मुस्लिम और ईसाई भी शामिल हैं। आप, सिख,
मुस्लिम और ईसाई सहित उन सबके समर्थन के पा= हैं, जो इस संक्रमण से ग्रसित हैं।
आपका राष्ट्रीय आंदोलन अन्य राष्ट्रीय आंदोलनों से कठिन है, जैसे कि स्वराज। स्वराज के
लिए संघर्ष में सारा राष्ट्र आपके साथ संघर्ष करता है। लेकिन आपके आंदोलन में आपको
अपने ही राष्ट्र के साथ लड़ना पड़ता है। लेकिन यह आंदोलन स्वराज से ज्यादा महत्वपूर्ण
है। स्वराज का कोई मतलब नहीं रह जाएगा, अगर आप इसकी रक्षा न कर पाए। स्वराज से
ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न स्वराज के अंतर्गत हिन्दुओं को बचाना है। मेरे विचार से हिन्दु समाज
जब एक जातिहीन समाज बन जाएगा, तभी इसके पास स्वयं को बचाने के लिए काफ़ी
शक्ति होगी। इस आंतरिक ताकत के बिना हिन्दुओं के लिए स्वराज, गुलामी की ओर केवल
एक कदम होगा। अलविदा तथा आपकी सफ़लता के लिए मेरी शुभकामनाएं।